मेरी किताब गायत्री एक सीधी, सरल, लड़की की कहानी है, जिसके मायके और ससुराल दोनों में ही अच्छा परिवार होने के बावजूद बिल्कुल अकेली सी रहती थी , और अपने मन की बात किसी से साझा नहीं कर पाती थी। ससुराल भी अच्छा ही मिला , पर वह अपने शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप में कमजोर हो चुकी थी। बीमारी के समय भी सभी ने पूर्ण रूप से साथ दिया लेकिन भीतर ही भीतर दिल से कमजोर होती गई। इस कहानी में मां और बच्चों के रिश्ते को बखूबी दर्शाया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे मां किसी से कुछ कह नहीं पाती और उसके बच्चे बिना कुछ कहे मां की हर बात को समझ जाते हैं।
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