hami_poet ना कोई किस्सा – ना कोई कहानी ना ही कोई फरिश्ता- आसमानी क्या करू इस शाम-ए-जन्नत का ए-हमी जब मंज़र ही हो गया बेज़ुबानी -हमी Sarthak_40 Testing 123